आजादी मांगता बलूचिस्तान

बोलने को तो बलूचिस्तान पकिस्तान का हिस्सा है फिर भी आज बलूचिस्तान के जो हालात है उसके लिए पकिस्तान पूरी तरह से जिम्मेदार है , आज बलूच के लोग पाकिस्तान सरकार और वहाँ की आर्मी द्वारा उनके ऊपर किये जा रहे अत्याचारों से पीड़ित है इसीलिए यहाँ आजादी की आवाज बुलंद होने लगी है । आपको बता दें कि बलूचिस्तान में प्राकर्तिक संसाधनों का भंडार है  और बलूचिस्तान पाकिस्तान के कुल छेत्रफल के 40 % प्रतिसत में फैला है । फिर भी पाकिस्तान की सरकार सुरु से ही यहाँ के प्राकृतिक संशाधनों का दोहन करती रहती पर विकास और सुविधा के रूप में बलूच के लोगों को कुछ नही मिलता । पाकिस्तान सरकार अपने पूरे बजट का केवल 9 % हिस्सा ही बलूचिस्तान में खर्च करती है और वो भी केवल वहां के संसाधनों का दोहन करने के लिए । सुरु से ही पाकिस्तानी सेना बलूच के लोगों पर खूब सितम ढाह रही है रोजाना सेना द्वारा बलूच के को बुरी तरह पीटा जाता है और उन्हें गोलियां मार दी जाती है यहाँ तक की महिला और बच्चों को भी नही बख्शा जाता सेना यहाँ अपने ही लोगों पर फाइटर प्लेन से बम बरसाती है और उनकी हत्या करती है । उनका शोषण किया जाता है  यहाँ तक की यदि उनके खिलाफ आवाज उठाने की कोसिस करता है तो या तो उससे मार दिया जाता है या उन्हें जेल में डाल दिया जाता है । बलूचिस्तान के हालात कैसे है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है यहाँ न तो किसी मीडिया वालों को जाने दिया जाता है और न ही यहाँ का कोई व्यक्ति किसी अखबार या मीडिया से संपर्क कर सकता है । इन अत्याचारों ने बलूच के लोगों को अपने हक़ के लिए लड़ने पर मजबूर कर दिया आज पूरा बलूचिस्तान अपनी आजादी की लड़ाई लड़ रहा है , परन्तु पाकिस्तान के अत्याचारों के चलते इनकी आवाज को दबा दिया जाता था परंतु पहली बार भारत के प्रधानमंत्री द्वारा 15 अगस्त के दिन लाल किले की प्राचीर से बलूचिस्तान की आवाज उठाने के बाद से बलूच के लोगों को अब ये उम्मीद जगी है कि अब उनकी इस हालात पे दुनिया का ध्यान जरूर जाएगा । और उनकी इस लड़ाई को एक नई दिशा प्राप्त होगी , हमे भूलना नही चाहिए की बाग्लादेश का उदय भी ऐसी परिस्थितियों के कारण हुवा था , और शायद अब बारी बलूचिस्तान की है । हालातों को देखते हुवे तो अब यही लगता है कि अब बलूचिस्तान अपनी आजादी की राह पर आगे बढ़ रहा है । प्रधानमंत्री मोदी के बलूचिस्तान पर बोलने के बाद अब बलूच के लोगों को भारत से आशा की किरन जागी है बलूचिस्तान में भारत के पक्ष में नारे लग रहे है ताकि भारत उनकी आवाज को अंतरास्ट्रीय स्तर पर रख सके जिससे उन्हें पाकिस्तानी आर्मी के अत्याचारों से राहत मिले । आज बलूच के लोग आजादी मांग रहे है वे आजादी मांग रहे है पाकिस्तानी अत्याचार से वहाँ की सरकार से । बलूचिस्तान के हालात सब जानते है फिर भी हैरानी होती है कि कोई भी इनकी मदद को आगे क्यों नही आता रोज यहाँ पर लोगों के मानवधिकारों का हनन होता रहता है इन लोगो पर इतने जुल्म ढाहे जाते है फिर भी दुनिया में महाशक्ति कहलाने वाले देश इनकी सुरक्षा के लिए कोई कदम क्यों नही उठाते । आखिर कब तक और कितने दिनों तक इन्हें पकिस्तान के जुल्म झेलने पड़ेंगे आखिर कब इन्हें आजादी मिलेगी ।

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