देखो देखो ये गरीबी ,ये गरीबी का हाल ।

आजादी के बाद से ही देश में काफी विकास हुवा तब से लेकर अब तक समाज के साथ साथ लोगों के रहन सहन में भी बदलाव आये , फिर भी यदि आज हम भारत की गरीबी की बात करे तो उनकी संख्या आज भी बहुत ज्यादा है ।  एक आंकड़े के अनुसार  वर्तमान में 29.8 प्रतिशत भारतीय आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है। गरीब की श्रेणी में वह लोग आते हैं जिनकी दैनिक आय शहरों में 28.65 रुपये और गांवों में 22.24 रुपये से कम है। क्या आपको लगता है कि यह राशि ऐसे देश में एक दिन के भी गुजारे के लिए काफी है जहां खाने की चीजों के भाव आसमान छू रहे हैं? इससे यह साफ होता है कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है। सरकारी आंकड़े के अनुसार 30 रुपये प्रतिदिन कमाने वाला भी गरीब नहीं है, ऐसा मानना है यहाँ की सरकार का । आज गरीबी समाज के साथ साथ आम व्यक्ति के लिए किसी अभिशाप से कम नही । लोगों पे अपने लिए दो वक्त की रोटी जुटाना महँगा पड़ जाता है ऐसे में कैसे ये लोग देश के विकास में सहयोग दे पाएंगे , ये गरीबी का ही अभिशाप है कि इन परिवारों के बच्चों को न तो अच्छी शिक्षा मिल पाती है और न ही अच्छी स्वास्थ सुविधाएं । और तो और दो वक्त की रोटी भी इन बच्चो को नसीब नही हो पाती कहीं कहीं तो हाल इससे भी बहुत बदत्तर है आज आज भी भारत में कई बच्चो की मौते कुपोषण और भूख की वजह से होती है यहाँ न तो कोई सरकार ध्यान देती है और न ही कोई प्रशासन, जिस उम्र में इन बच्चों स्कूल जाने का हक़ होता है उस उम्र में इनके हाथों में काम का बोझ थमा दिया जाता है । ये मजबूर हो जाते है भीख मांगने के लिए , देश का विकाश तो होता पर इस विकास का फायदा केवल एक ही तबके को मिल पाता है इससे गरीब और ज्यादा गरीब बनाता और अमीर और ज्यादा अमीर बनता जाता है । भारत में गरीबी का एक और कारण अधिक जनसँख्या का होना भी है आज भारत जनसंख्या के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है पर सुविधाओं और विकास के मामले में अभी भी बहुत बहुत पीछे । हम्हरे पास युवा जनसँख्या सबसे अधिक है परंतु इन्हें काम न मिलने के कारण ये बेरोजगार है जो की गरीबी के प्रतिसत को बढ़ाने का मुख्य कारक है । भारत में बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ रही है परंतु इनके लिए काम न होने के कारण, इन्हें गरीबी में जीने को मजबूर होना पड़ता है कोई मजदुर दिन भर काम करके भी उतने पैसे नही कमा पाता जिससे की उसका घर आराम से चल सके । इन लोगों की जिंदगी केसी होती है शायद हम इसका अंदाजा भी नही लगा सकते ।
आज ग्रामीण छेत्रों में गरीबो की संख्या में कमी आयी है परंतु शहरों में गरीबी का प्रतिशत दिन प्रतिदिन बढ़ाता जा रहा है , लोग कुछ पैसे कमाने के लिए शहरों का रुख करते है अछि शिक्षा न होने के कारण वहां पर इन्हें कोई काम नही मिल पाता जिस कारण ये बेरोजगार हो जाते है । यदि हमे देश को एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र बनाना है तो सबसे पहले देश से गरीबी को ख़त्म करना होगा तभी जाकर देश विश्व गुरु बन सकता है ।

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