समझे आजादी के मायने ।


भारत आजादी के अपने 70 वें साल में प्रवेश कर चुका है । इन 70 सालों के अंदर देश और दुनिया में कई परिवर्तन देखने को मिले है । 15 अगस्त 1947 को देश आजाद तो हुवा लेकिन इसी के साथ पाकिस्तान के विभाजन का दर्द भी दोनों देशों को झेलना पड़ा धरती को अपनों के ही खून से लाल होना पड़ा ,ना चाहते हुवे भी देश के साथ साथ लोगों का भी विभाजन हो गया , एक ही रात में लोगों के दिलों में विभाजन की लकीर खींच दी गई रातों रात हजारों लाखों परिवारों को विभाजन के कारण एक दूसरे से अलग होना पड़ा । इन्हें तो पता भी नही चला की एक ही रात में ये अपनों से दूसरे मुल्क के जैसे बन गए । खेर  इसके बाद भारत ने  कई युद्ध देखे इनमे से एक चीन के साथ तो बाकी पाकिस्तान के साथ हुवे । जिसमे भारत ने अपनी शक्ति का दम दीखा कर पूरी दुनिया को हैरान कर दिया । आज भले ही देश तरक्की की राहों पर काफी आगे बढ़ गया है , फिर भी कहीं न कहीं ऐसा लगता है कि जिस सुनहरे भारत का सपना हम्हारे उन वीर क्रांतिकारियों ने देखा था शायद वो  भारत कुछ और था , आज देश आजाद तो है पर लोगों की सोचों और देश में लगातार बिमारी की तरह फैलते भ्रस्टाचार ने देश को अंदर से इतना खोखला कर दिया है कि लगता है मानो उस समृद्ध और सशक्त भारत का सपना शायद सपना ही रहे , शायद यही कुछ लोग आजादी का महत्व ही भूल गए है और भूल गए है देश के लिए मर मिटने वाले वीरों को , दुःख होता है यह देखकर कुछ लोग जिस देश में रहते है उसीके के टुकड़े करने के सपने पालते है , अरे उन पडोसी मुल्को को क्या दोष दे जब खुद के ही देश में ऐसे लोग मोजूद हो जो केवल और केवल देश को लूटने इसे बर्बाद करने के सपने देखते है , यदि अब भी आपको लगता है कि देश आजाद नही है तो हाँ देश को आजादी चाहिए ऐसे लोगों से , देश को आजादी चाहिए गरीबी से , आजादी चाहिए भ्रस्टाचार से , आजादी चाहिए आतंकवाद से और मेरे देश को आजादी चाहिए उस हर एक सोच से जो देश की तरक्की में बाधा है । आज देश आजादी मांगता है उन सभी से जो देश में रहकर भी देश को अपने फायदे के लिए लूटते है और देश का बुरा सोचते है , ये देश मेरा है हम सब का है , ये यहाँ रहने वाले अमीर का भी देश है और उतना ही हर एक गरीब का भी , ये देश है हर उस देश भक्त का जो इसका सम्मान करता है और इसकी रक्षा के लिए वचनबद्ध हो ।
हमे नही भूलना चाहिए की आजादी की इस खुसबू को पाने के लिए हजारों लाखों क्रान्तिकारों ने ख़ुशी ख़ुशी अपना बलिदान दे दिया । इस लिए हमे आजदी की इस खुसबू के साथ साथ उन वीरों का भी सम्मान करना चाहिए , और गर्व करना चाहिए अपने देश पर । क्योंकि हम्हरा देश है इसीलिये हम है , हम्हरे देश से ही हम्हारी पहचान है इसलिए जरूरी है कि ये आजादी का जश्न केवल एक ही दिन तक सीमित न हो ।
कभी कभी सोचता हूं कि अगर आज हम्हरे वो क्रांतिकारी जिन्दा होते या हम्हरे बीच होते तो उन्हें केसा लगता कि आज यह वही देश है और ये वही लोग है जिनको एक आजाद भारत दिलाने के लिए इन्होंने अपने बचपन से लेकर अपनी जवानी तक को कुर्बान कर दिया केवल यह सोचकर की कम से कम आने वाली पीढ़ी एक आजाद भारत में खुलकर सांस ले सके । पर अफ़सोश इन बातों का अब इन लोगों पर कोई असर नही पड़ता बस हर 15 अगस्त और 26 जनवरी को ना जाने कहाँ से इनके अंदर का देश भक्त जाग उठता है । थोड़े नारे लगाता है और तो सभी के हाथ में झंडा दिखाई देता है । पर फिर अगले ही वो जोश न जाने कैसे ठंडा हो जाता है और वो तिरंगा जो आज सब ने बड़े जोश के साथ थमा था वो ऐसे ही रॉडों पर पड़े नजर आते है ।आखिर सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसा क्यों ? क्यों बस एक ही दिन हमे हमारी देश भक्ति याद आती है , क्यों उसके बाद फिर से देश के किलाफ बोलना सुरु कर देते है ? आखिर क्यों क्या किसी के पास इसका कोई भी जवाब है ?



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