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सावन की रिम झिम बरसात - बदरा बरसे तन मन भीगे ।

सावन के झूलों ने मुझको बुलाया '' ....... अब यादों में ही रह गए है सावन के झूले

थोड़ा याद उन्हें भी , जो लौट कर फिर ना आये ।

बनाये रखे महत्वता।