देख मेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान् - हाँ कितना बदल गया इंसान ।

"जाने क्या हो गया है लोगों को ,न दिखती इंसानियत, न दीखता इंसान है लालच और बेचारी ने घेर लिया इंसान को न दिखता दर्द इनको न ही दीखते आँसुअपनों को ही भूल गया है दूसरों क्या ध्यान करें ।आखिर क्या हो गया इंसान को ।।""
ऐसा ही कुछ आज कल आये दिन देखने को मिल जाता है । न जाने क्यूँ लोगों में इंसानियत नाम की चीज रही ही नही इसका उदाहरण हाल ही में हुवी घटना साफ़ देती है । दरसअल हुवा यूँ था कि दिल्ही में एक राह चलते आदमी को एक ऑटो वाला टक्कर मार देता है , आदमी करीब 2 ,3 फुट आगे जाकर गिरता है , जैसे ही ऑटो वाला आदमी को टक्कर मरता है तो वो आगे जाकर रुकता है और गाडी से उतरता है पर अफ़सोश वो ऑटो से आदमी को उठाने नही उठता बल्कि अपने ऑटो के चारों तरफ घूमता है ये देखने के लिए की कही उसके ऑटो को तो कुछ नही हुवा और फिर वहां से चला जाता है , उसके बाद वो आदमी वही दर्द में तड़फता रहता है लेकिन वहाँ से गुजरने वालों की ये हिम्मत नही होती की उसे हॉस्पिटल पहुंचा  दिया जाय , इंसानियत उस वक्त और ज्यादा शर्मसार होती है जब एक रिक्शा वाला वहाँ पर रुकता है पर उससे हॉस्पिटल ले जाने के  लिए नही बल्कि वो वहाँ पर जाकर दर्द में तड़फते हुवे आदमी को देखता है और फिर वहीं बगल में पड़े उसके फ़ोन को उठा कर चलता बनता है |  उस आदमी को प्राथमिक उपचार न मिलने के कारण वो यूँ ही रोड में पड़ा पड़ा दर्द में तड़फकर डम तोड़ देता है । पर वहाँ से गुजरने वाले इतने लोगों में से भी किसी की इतनी हिम्मत नही होती की उसकी तरफ देख ले ।


दिल्ही में हुई इस घटना ने जहां पुरे देश को झकझोर कर रख दिया है वहीं एक चीज भी सब लोगों को देखा दिया है कि अब लोगों में इंसानियत ख़तम हो गयी है । हालाकिं वो ऑटो वाला तो पकड़ लिया जाएगा पर क्या जो दिल्ही में देखने को मिला उससे किसी को कोई सबक मिला हो , यदि समय पे कोई व्यक्ति उस आदमी को हॉस्पिटल पंहुचा देता तो शायद उसकी जान बच जाती  ये कोई एक मामला नही है जब इंसानियत के नाम पर कलंक लगा हो ऐसा आये दिन ये देखने को मिलता है ।अचंम्भा इस बात से है कि यह सब उस पवित्र  धरती पर देखने को मिल रहा है जहां पर लोग धर्म कर्म को इतना मानते है जहाँ कहा ।   और तो और दूसरों की सेवा करना जहाँ धर्म माना जाता है । आज उसी देश मेये सभ देखने को मिल रहा है जहाँ कभी इंसानियत की मिसाल दिया करती थी । अफसोश इस बात का है कि आखिर लोग कैसे इतने मतलबी और दया हीन हो सकते है । आज यदि कोई व्यक्ति हिम्मत कर लेता और उस व्यक्ति को समय पे हॉस्पिटल पहुंच देता तो शायद वो व्यक्ति हम्हारे बीच हिता ।इंसान गलती करने के बाद ही सुधारता ही शायद इस प्रकरण से हममे तोड़ी इंसानियत जाग जाए और शायद फिर कोई इस तरह रोड पर तड़फता हुवा न दिखयी दे ।हालाँकि कई बार कानून के भय से भी लोग इन सब में पड़ने से बचते है , दरसअल होता यूँ है की यदि कोई किसी की मदद करता भी है तो पुलिस उसी को लपेटे में ले लेती है इसलिए आज कल लोग दूसरों की मदद करने से भी डरने लगे है । इसलये सरकार को भी इस और ध्यान देने की जरूरत है ।।

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