लीडरशिप की कमी कहीं कांग्रेस को ले ना डूबे ।

कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है, इसकी स्थापना 1885 में अंग्रेजी अधिकारी ऐ ओ ह्यूम द्वारा की गयी थी , उस वक्त कांग्रेस की स्थापना इस लिए की गयी थी ताकि अंग्रेज भारतीय लोगों में उनके खिलाफ बढ़ रहे आक्रोश को कम किया जा सके , परन्तु कुछ ही समय बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भी आजादी की लड़ाई में शामिल हो गई ! 

आज भले ही कांग्रेस का स्वरुप जैसा हो लेकिन हम यह नही भूल सकते की स्वतंत्रता के समय में कांग्रेस का योगदान बहुत था  । देश की आजादी के बाद कई सालों तक कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने देश को चलाया , जिनमे कई महान नाम शामिल है इंदिरागांधी के दौर में तो कांग्रेस और देश ने भी काफी तरक्की की , 80 से भी अधिक सालों तक कांग्रेस ने देश की बागडोर संभाली जहाँ पार्टी में भी कई उतार चढ़ाव आये परन्तु अछि लीडरशिप की बदौलत केंद्र से लेकर कई राज्यो में कांग्रेस की सरकारें रही , यहाँ तक की सोनिया गांधी ने भी पार्टी को काफी सँभालने की कोशिस जरूर की है इसी का परिणाम था कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ने 10 और सालों तक सत्ता संभाली , लेकिन बागडोर राहुल गांधी के हाथों आते है कांग्र्रेस ने अपने इतिहास का सबसे बुरे दौर को देखना सुरु कर दिया , इसी का परिणाम था कि 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को मात्र 40 से 50 सीटों में ही सिमट कर रहना पड़ा , कांग्रेस के इतिहास में ऐसा पहली बार हुवा है जब कांग्रेस को लोकसभा में इतनी बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा हो , हालाँकि यह तो सुरुवात थी कांग्रेस के बुरे दौर की इसके बाद तो मानो कांग्रेस पर सनी का प्रकोप लग गया हो एक एक करके कांग्रेस के हाथों से कई राज्यों की सत्ता भी चली गई , यहाँ भी कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत ही निराशा जनक रहा कभी पुरे भारत में सत्ता चलाने वाली कांग्रेस आज मात्र 3 राज्यों में सिमट कर रह गई है और जो हालात अभी है उससे तो ऐसा लगता है कि जल्द ही बीजेपी का कांग्रेस मुक्त भारत जल्द ही पूरा हो जाएगा ।
अब बात करते है कि आखिर  ऐसा क्या हो गया कि कांग्रेस के हाल इतने ख़राब हो गए की कांग्रेस को इतने बुरे दिन देखने पड़ रहे है , दरसअल इस सब का कारण है कमजोर लीडरशिप और कांग्रेस में लगतार बढ़ती फूट ,जब से कांग्रेस की कमान राहुल गांधी के हाथों में आई है राहुल लोगों तक जुड़ने में नाकाम रहे  और लोगों के दिलों में अपनी छवि नही बना पाए , आए दिन राहुल गांधी बयानों के कारण चर्चाओं में रहते है , यहाँ तक की संसद में बयान देते समय भी राहुल से कई गलतियां हो जाती है । जिसके कारण वह सुर्खियों में बने रहते है । राहुल युवा है उनमें काबलियत है परंतु कमी है तो अनुभव की और एक ऐसी कार्यनीति की जिससे कांग्रेस को फिर से खड़ा किया जा सके । राहुल कहीं न कहीं पार्टी के लोगों को भी जोड़े रखने में नाकाम रहे है यही कारण है कि बड़ी संख्या में कांग्रेस नेताओं ने बीजेपी का दामन थामा इसी का उदहारण है अरुणाचल और उत्तराखंड के हालात । अभी भी समय है जब कांग्रेस को एक ऐसे लीडर की जरुरत है जो उसके हालातों में सुधार लाए और कांग्रेस को फिर से खड़ा करे । नही तो लीडरशिप की कमी कांग्रेस को ले डूबे।

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