आईये बापू के सपनो को पूरा करें , और उन्हें श्रद्धांजलि दे ।

महात्मा गांधी जी एक ऐसे महापुरुष थे जिनके आदर्शो और सिद्धान्तों ने समाज को एक नई दिशा प्रदान की ।
जिन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए और पूरे देश को एक सूत्र में बांधने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पण कर दिया । गांधी जी का पूरा नाम मोहन दासः करमचंद्र गांधी था उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुवा था उनकी माता का नाम पुतली बाई  था उनकी 18 वर्ष की आयु में कस्तूरबा बाई से सादी हुई । गांधी जी को वकील बनाना था इसलिए वो अपनी बेरेस्टर की पढाई के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए वहां भी उन्होंने कई सामाजिक गतिविधियों में सम्मलित रहे । उस वक्त वहां पर काले गोरे का काफी भेदभाव चल रहा था , इसी सिलसिले में उन्हें कई बार अपमानित होना पड़ा एक दिन ट्रैन में सफर करते वक्त उनका काफी अपमान हुवा और उन्हें ट्रैन से बाहर कर दिया गया यह बात उन्हें काफी चुबी जिसने उनकी आत्मा को झकझोर कर रख दिया तब उन्होंने सोचा की जब यहाँ पर इतना बुरा हाल है तो देश में अंग्रेज  भारतीयों पर कितना जुल्म ढा रहे है ।
अपनी बेरेस्टर की पढाई पूरी करने के बाद गांधी जी भारत आए यहाँ आकर उन्होंने जब ये देखा की अंग्रेजो के अत्याचार से हर एक भारतवासी परेशान है और आजादी की चाह है तब गांधी जी ने यह निश्चय किया मुझे देश को अंग्रेजो के अत्याचार से आजादी दिलानी है । और भारतीयों को उनका हक वापस दिलाना है , यहीं से आजादी के लिए एक और नए दौर की लड़ाई की सुरुवात हुई ।
हालाँकि इससे पहले भी कई जगह कई लोग आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे परंतु अगर किसी चीज की कमी थी तो वो थी एकता की ।
और इस काम को गांधी जी ने बखूबी अदा किया सुरुवात में कई मुश्किल आई परन्तु गांधी जी के विचार इतने प्रभावशाली यह की इन विचारों ने लोगो को आपस में जोड़ने का काम किया ।
अंग्रेजो को भय हो गया था कि गांधी जी के कार्यो के कई दूरगामी परिणाम होंगे इसलिए अंग्रेजो ने गांधी जी को समझाने के लिए कई हतकंडे अपनाइए उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा , परन्तु लोग उनसे इतने प्रभावित थे की उससे लोगो में आजदी की भावना को और अधिक सशक्त होने में मदद मिली ।
गांधी जी अहिंसा वादी थे उनके कहना था कि जो कार्य अहिंसा से हो ता है उससे हिंसा से कभी नही पूरा किया जा सकता हिंसा से केवल नुकशान ही उठाना पड़ता है इसिलए हमें अहिंसा का मार्ग अपनाना चाहिए ।
आजदी के इसी दौर में उन्होंने कई सारे आंदोलन किये जिसमे डांडी यात्रा , सविनय अवज्ञा आंदोलन , नमक आंदोलन और अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन शामिल है जिसमे उन्हें एक विशाल जन समर्थन मिला इस वक्त पूरा देश गांधी जी से प्रभावित था और सबने गांधी जी के आंदोलनों में पूरा समर्थन दिया जिसका परिणाम यह हुवा की आखिर कार अग्रेजो को भारत छोड़कर जाना पड़ा ।
परन्तु आजदी के साथ साथ विभाजन का दर्द भी हमे झेलना पड़ा जिससे गांधी जी को बहुत दुःख हुवा उन्होंने कहा अपने ही लोगों को आपस में लड़ते हुए नही देख सकता । उसके कुछ समय बाद ही नाथू राम गोडसे ने उन्हें 30 जनवरी के गोली मार कर उनकी हत्या कर दी और देश ने अपने राष्ट्रपिता को हमेशा के लिए खो दिया । गांधी जी के विचारों से प्रभावित होकर ही उनके गुरु रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें महात्मा की उपाधि दी थी । आज भले ही गांधी जी हम्हारे साथ न हो परन्तु उनके विचार हमेशा हमारे साथ रहकर हमारा मार्ग दर्शन करते रहेंगे । पर आज जरुरत है कि उन विचारों को हम अपने जीवन में उतारे जो गांधी जी द्वारा समाज को दिए थे ।
गांधी जी का सपना था कि हमारा देश बहुत आगे बड़े ,  देश साफ़ हो ,हम स्वछता  या ध्यान रखे । तो चलिए आज हम संकल्प लेते है कि अपने देश को स्वछ रखने और इसे आगे बढाने में अपना योगदान दे । और गांधी जी के सपने को पूरा करे ।

Comments

Popular Posts