सड़कों की बदहाली , सुविधा कम लेकिन गड्ढे ज्यादा ।

भारत एक विशाल जनसँख्या वाला छेत्र है इसी के साथ साथ भारत एक तेजी से विकसित होता हुवा देश है । भारत ने 1947 में आजादी के बाद से विकास की गति को पकड़ा । 1952 में भारत में योजना आयोग की स्थापना की गयी इसी के बाद भारत में सुनियोजित विकास की रूपलेखा सुरु हुई । भारत ने हर छेत्र चाहे वो शिक्षा के छेत्र में हो या औद्योगिक छेत्र में हर जगह भारत ने अपनी विकास की रफ़्तार को बढ़ावा दिया , आज भले ही देश की अर्थवयवस्था दुनिया की उभरती हुई अर्थव्यवस्था हो फिर भी जमीनी हक़ीक़त कुछ और भी है जिससे हम सभी वाकिफ है |
भारत एक विशाल छेत्रफल वाला देश है बावजूद इसके यहाँ पर सड़कों की हालत बहुत बुरी है  आज भी भारत का सड़क नेटवर्क कई गाओं को शहरों तक जोड़ने में नाकाम रहे है , गाओं की बात तो दूर शहरो के हाल भी कुछ ठीक नही है यहाँ पर रोड कम और गड्ढे ज्यादा दिखाई देते है । भारत में सड़कों की स्थिति तो यह है कि जब भी सड़कों के निर्माण का कार्य कभी भूल से सुरु भी हो जाए तो इस काम को बरसात से पहले सुरु किया जाता है क्योंकि बरसात आने के बाद रोड के साथ साथ इस काम में कीए गए घोटाले भी बेह् जाते है और दब जाते है , इसी तरह सड़कों के लिए प्रस्तावित एक बड़ी धनराशि आपस में बंट जाती है और फिर जाकर अगर कुछ थोड़ा बहुत बच जाए तब जाकर उतने में सड़कों का निर्माण कार्य किया जाता है  जो एक बरसात भी नही झेल पाती ।
अब आप ही सोचिये आपके पैसों का कितना बढ़िया काम हो रहा है और किस किस की जेब में जा रहा है । इन लोगों के लिए तो मामला तब बिगड़ जाता है जब मालूम पड़ता है इस जगह पर प्रधानमंत्री ,राष्ट्पति या कोई और बड़े आदमी का दौरा होना है , फिर क्या है , जिन सड़कों का निर्माण पिछले पांच सालों में नही हो पाता ऐसी परिस्थिति में ये लोग रातों रात वहां की सड़कों को चमका देते है रातों रात जगह का काया पलट हो जाता है , ताकि मेहमानों को कोई परेशानी न हो , लोगों का क्या है उन्हें तो इन सबकी आदत पड़ चुकी है परन्तु लाल बत्ती वालों को कोई परेशानी नही हो इसलये सड़क पर परत चढ़ा दी जाती है  ।
भारत में भरस्टाचार एक ऐसी बीमारी है जो दिन प्रतिदिन किसी बिमारी की तरह फैल रही है इसी का कारण है कि हम लोगों की मेहनत की मोटी कमाई देश के विकास में लगकर किसी व्यक्ति के विकास में लग जाती है । यही कारण है कि यहाँ विकास कार्यो में इतना वक्त लग जाता है । इसी का एक उदहारण है भारत की सड़क व्यवस्था । आज हम विकास की बात करते है परंतु लाखों गाओं ऐसे है जो शहरों से नही जुड़ पाते खास कर पहाड़ी इलाकों में लोगों को अपनी जरुरत के सामान के लिए मीलों चलना पढता है बच्चो को पढाई के लिए बहुत दूर जाना पढता है और अस्पताल तक पहुंचने की तो बात ही क्या करे जहाँ सड़कों का निर्माण होता भी है तो केवल नाम मात्र के लिए सड़के बना दी जाती है जो एक बरसात में ही बेह् जाती है , और उसके बाद उसकी मरम्मत पर किसी का ध्यान ही नही जाता । उल्टा इन टूटी फूटी सड़कों के कारण कई हादसे भी हो जाते है जिनसे कई बार लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पढता है ।

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