सावन की रिम झिम बरसात - बदरा बरसे तन मन भीगे ।

श्रावण का महीना खेल और उल्लास से भरा हुवा होता है यह अपने साथ कई सारी खुशियों को लेकर आता है । सावन की पहली बारिश का महत्व कितना होता है इस बात का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है की सावन के शुरू होते ही सूखे और वीरान पड़े जंगल एक बार फिर हरियाली से ऐसे खिल उठते है मानो किसी प्यासे को पानी की बुँदे मिल गयी हो , धरती पर पढ़ती सावन की बारिश की एक एक बूंद अमृत के समान महसूस होती है । 
इस अमृत का महत्व केवल वही समझ सकता है जिसने सूर्य की तपिश और सूखा झेला हो ,आनंद उस वक्त अपने चरम पर पहुँच जाता है जब सावन की इस बारिश से प्रकर्ति एक आलोकिक सुंदरता को ओढ़ लेती है , पहाड़ों से सुन्दर सुन्दर झरने इस सुंदरता को और अधिक बढ़ा देते है , और असंख्य प्रकार के सुन्दर सुन्दर पुष्प धरती को स्वर्ग के रूप में बदल देते है । और इनकी सुगंध इसमें प्राकृतिक इत्र का काम करती है । इससे इस बात का मालूम पड़ता है कि प्रकृति अपने आप में परिपूर्ण है  सावन की यह रिम झिम करती बारिश जहाँ एक और प्रकर्ति के लिए वरदान साबित होती है वहीँ दूसरी और यह उन सभी जीव जंतुओं और मनुस्यों  को ग्रीष्म समय की उस तपती हुवी गर्मियों की मार से भी राहत देती है । चाहे वो बच्चा हो , जवान हो या फिर वृद्ध सावन की यह बरसात उम्र की सारी सीमाओं को तोड़ देती है तभी तो बारिश की इन रिम झिम करती बारिश का आनंद लेने में कोई भी पीछे नही रहता, बस हर कोई इन बारिश की बूंदों में भीग कर अपने आप को सावन के इन रंगों में रंगना चाहता है । 
प्रकति के कई रूप है वह अपने आप में संपूर्ण है परंतु हमे यह याद रहे की प्रकृति जितनी जीवनदायनी है वहीँ अगर इससे छेड़ छाड़ होती है तो हमे इसके विनाशकारी परिणाम भी देखने पड़ सकते है , इसलये यह आवश्यक है कि यदि हमें प्रकर्ति के विनाशक रूप से स्वयं को बचाना है तो प्रकर्ति से छेड़छाड़ बंद कर दे । याद रखे प्रकर्ति की सुंदरता तभी तक बरकरार रह सकती है जब तक ,  मानव प्रकर्ति का दोहन करना कम करे और उसका सम्मान करें।    ।।


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