Atma kutir
मणिकूट पर्वत की गोद में स्थित आत्म कुटीर एक बेहद ही सुन्दर आश्रम है यहाँ प्रकर्ति के अनुपम सुंदरता का एहसास होता है चारों और से पर्वतों से घिरा हुवा यह आश्रम अपने शांत वातावरण के लिए भी जाना जाता है ।
लक्ष्मणझूला से 9 किलोमीटर दूर घटु गाड़ में यह आश्रम स्थित है , इस आश्रम की स्थापना राही बाबा जी द्वारा आज से लगभग 17 - 18 साल पहले की गयी थी । उससे पूर्व यह एक खंडर गांव हुवा करता था , बाबा जी के अथक प्रयासों के कारण यहाँ पर आत्म कुटीर जैसे सुन्दर आश्रम को बनाना संभव हो सका ।
राही बाबा जी ।
राही बाबा जी एक ऐसे संत है जिन्होंने कई सालों तक मणिकूट की गुफाओं में रहकर तपस्या की जहाँ उन्हें साक्षात्कार भी हुवा , वहाँ कई चमत्कार लोगों ने अपनी आँखों से देखे । इसके पश्चात बाबाजी हिमालय में साधना के लिए चले गए उसके पश्चात उन्होंने मणिकूट में ही रहकर विश्व कल्याण का फैसला लिया और वहीँ मणिकूट की गोद में आश्रम का निर्माण किया ।
ये बाबाजी के ही तप का फल है क़ि आजतक उस जगह की महत्वता और सुंदरता वैसे ही बरक़रार है जैसे पहले थी । यहाँ पर बाबाजी द्वारा लोगो को अध्यात्म की शिक्षा के साथ साथ साधना एवं ध्यान के बारे में बताया जाता है । इसी के साथ साथ गुरुदेव द्वारा यहाँ आने वाले लोगों को समाज के लिए अच्छे कार्य करने के लिए भी कहते है जिससे की लोग समाज के कल्याण के लिए आगे आये और अपनी भागीदारी सुनिश्चित करे ।
यहाँ आने वाले भक्त जन इस पवित्र जगह को आश्रम नही अपितु गुरुकुल मानते है ।
हर साल आश्रम में दिसंबर माह में एकादशी से लेकर पूर्णिमा तक पांच दिवसीय विश्व शान्ति का यज्ञ कराया जाता है देश विदेश से हजारों लोग और संत समाज एकित्रत होकर विश्व कल्याण के यज्ञ हो महाभिषेक करते है ,
ऐसी के साथ साथ होली से कुछ दिन पहले राही बाबाजी द्वारा मणिकूट परिक्रमा का भी आयोजन किया जाता है , जिसमे पुरे मणिकूट पर्वत पर स्थित बारह द्वारों का पूजन किया जाता है , जिसका भी उद्देश्य पर हित और विश्व कल्याण ही होता है , परिक्रमा में भी देश विदेश से हजारों श्रद्धालु सम्मलित होते है , जो 62 किलोमीटर की इस परिक्रमा का भगवान् का नाम लेकर पूरी करते है ।
इसी के साथ साथ आत्म कुटीर में गुरु पूर्णिमा , दीपावली , होली और नवरात्र आदि त्योहारों को भी बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है । ये सारे त्यौहार आत्म कुटीर की परंपरा का तो प्रतिक है ही साथ ही साथ यह वसुदेश कुटुम्बकम का भी सन्देश देते है ।
यहाँ का शांत वातावरण यहां की सुंदरता और यहाँ की सकारात्मक ऊर्जाओं का आभास कराती है , पहाड़ों के बीच में बसे होने के कारण ही यहाँ प्रकर्ति की सुंदरता का गहराई से अनुभव किया जा सकता है । साधना और ध्यान के लिए यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि यहाँ पर उन्हें काफी अनुभूतिया भी हुवी है जो उन्हें परमात्मा से जोड़ता है । यहाँ पर कुछ अलग ही तरह की ऊर्जाओं का अनुभव होता है जो स्वयं को समझने में सहायक होती है ।
अतः यह बाबाजी के तप का ही प्रताप है कि लोग यहाँ आकर भगवान् को समझते है , ओर यहां के वातावरण और मनमोहक सुंदरता में खो जाते है ।
Perfectly described our beloved gurukul..
ReplyDeletethankyew saurabh
Welcome
Deletewow..just saw baba g on YouTube video
ReplyDeletehttps://www.youtube.com/watch?v=LJikI8YXZVQ
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