ये जनता है बाबु जी, सब जानती है ।

नया साल आने वाला है , और नए साल के बाद ही उत्तराखंड समेत 4 राज्यो में चुनाव होने है , कुछ ही दिनों में आचार सहिंता लग जाएगी और चुनाव तिथियों का एलान हो जाएगा यही कारण है कि , चुनाव नजदीक आते ही प्रदेश सरकारें योजनाओं का लॉलीपॉप लोगों को थमा रही है । 
जबकि सच्चाई तो यह है कि जिन योजनाओं का शिलान्यास प्रदेश सरकारें इस वक्त कर रही है वो केवल पत्थर तक ही रह जानी है क्योंकि न तो उनके पास इतना बजट है कि वो इन योजनाओं को समय पे पूरा कर पाएं , और न ही सरकारें इतनी अच्छी हो गईं है कि वो लोगों के बारे में इतना सोचती हो । हद तो इसी बात की है कि सरकार के इतने सालों तक तो उंन्हे इन योजनाओं की याद नही आती परन्तु जैसे ही उंन्हे लगता है कि अब चुनाव नजदीक है इसलिए पहले की गई गलतियों पर पर्दा डालने के लिए योजनाओं के सिलान्याओं का दौर सुरु हो जाता है , जब की उंन्हे पता है यदि चुनाव के बाद किसी दूसरे की सरकार आएगी तो इन योजनाओं को पूरा करने की जिम्मेदारियां उस सरकार की हो जायेगी इसके लिए पैसे के बारे में भी उन्हीं को सोचना पड़ेगा , और अगर गलती से लोग उनकी बातों में आकर उन्हें जीता कर सत्ता तक पहुंचा भी दे तो फिर योजनाओं में किसी न किसी बहाने के द्वारा देरी करते ही है । हम चाहे कितना भी सोच ले पर होता तो यही है , और सच्चाई भी यही है ।
चुनाव के आते ही उन सबको भी गरीबों की याद आ जाती है , जिंन्हे कभी यह भी पता नही होता की गरीबी आखिर होती क्या है , पुरे साल भर ये लोग सत्ता में रहकर अपनी जेबें भरते है इर पांचवे साल आते आते इन्हें लोगों की याद आती है क्योंकि पता है फैसला अब जनता के हाथ में है । इसलये विकास के नाम पर शिलान्यासों का दौर सुरु हो जाता है । ताकि लोगों को लगे की सरकार ने काम किया है , परन्तु सच्चाई तो यह है कि इन योजनाओं को पूरा होने में सालों बीत जाएंगी और कुछ किसी ठन्डे बस्ते में चली जायेगी । क्योंकि आज भी न जाने कितनी ऐसी योजनाए है जिनका शिलान्यास सालों पहले हो गया था लेकिन आज तक वो पूरी नही हो सकी कुछ योजनाओं में तो इतने साल बीतने के बाद भी काम सुरु तक नही हुवा ।
चलिये आखिरकार अब इन लोगों को आना तो आम लोगों के पास ही होगा , ये जनता है बाबु सब जानती है , पर ना जाने जानकार भी अनजान क्यों बनती है इन्हें पता है कि वो जिंन्हे वोट देने जा रहे है आगे जाकर क्या करेगा पर फिर भी अपने विवेक का प्रयोग नही करते ।
और अगर ये किसी अच्छे को चुन कर सत्ता में भेज भी दे तो उसे काम ही नही करने दिया जाता , आखिर क्यों ?
यार अब देखो किसी को तो देश के बारे में सोचना ही है तो जो कोई अच्छा करता है तो उसे करने दो आखिर परेशानी क्या है ?

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