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इस नवरात्र , महिलाओं के प्रति सही नजरिये की बारी
इस समय पुरे देश में नवरात्रों की धूम है । जगह जगह माँ के नों रूपों की पूजा की जाती है देश के अनेकों सिद्ध पीठों में दूर दूर से श्रद्धालु पहुंचकर माता की पूजा करते है और अश्टमी और नवमी के दिन कन्याओं की पूजा करते है । पर अफ़सोस नवरात्र पुरे हो जाने पर वापस अपने पुराने काम में लोट आते है ,
हमारे हिन्दू समाज में एक और तो महिलाओं को दुर्गा का रूप कहा जाता है तो वहीँ दूसरी तरफ समाज में महिलाओं पर हो रहे अत्यचारो और शोषण से भी हम अनभिज्ञ नही है , रोज जब अखबार अथवा टीवी खोलो तो कहीं रेप की घटनाएं तो कहीं लड़कियों से छेड छाड़ की घटनाएं देखने और सुनने को मिलती है । और तो और कई जगह तो कन्याओं की स्थित और भी ज्यादा ख़राब है यहाँ लड़कियों की जगह लड़को को ज्यादा महत्व दिया जाता है इसी लिए ये लोग कन्याओं की भ्रूण में ही हत्या कर देते है , इसमें से आदे से ज्यादा वह लोग है जो इन नवरात्रों में बड़ी धूम धाम से दुर्गा के रूपों की पूजा करते है और इनके घर के हाल इतने बुरे है ।
और तो और जिस घर में नवरात्रों में माता की चौकी सजाई जाती है उसी घर में लक्ष्मी समान बहु को केवल चंद रुपयों के लिए जला दिया जाता है । हमे गर्ल फ्रेंड तो चाहिए पर बेटी नही , समझ नही आता की आखिर लोगो की मानसिकता को क्या हो गया है , वो अपनी गन्दी सोच के आगे न उम्र देखते है और न ही रिश्ते यही कारण है कि ऐसे लोगों की गन्दी और छोटी सोच का शिकार होती है मासूम लड़कियां । रूह तो तब कांप जाती है कि जब पता चलता है कि किसी 3 या 4 साल की बच्ची से रेप किया गया है , यकिन नही होता की यह वही भारत देश है जहाँ लड़की को माता का रूप माना जाता ।
हम नवरात्रों के नों दिनों तक तो दुर्गा की पूजा करते है और नवरात्र खत्म होते ही अपने पुराने कामो में दुबारा घुस जाते है अपनी गन्दी सोचों के साथ । समझ नही आता ऐसे में कैसे लड़कियां अपने को सुरक्षित मानती होगी । कभी जरा समय मिले तो सोचना की ऐसे में एक लड़की केसा महसूस करती है जरा रखकर देखो उस रेप पीड़ित लड़की की जगह खुद को और देखो और सोचो क्या बीतती होगी उस लड़की पे ।
नवरात्र केवल इस लिए नही आते की आप सिर्फ दस लोगों को दिखाने के लिए पूजा पाठ आदि कर लेते है नवरात्र इसलिए भी होते है ताकि आप महिलाओं के प्रति अपने नजरिये को सही कर सके और सोच सके की कैसे समाज में भी लड़कियों को आजादी से जीने का हक़ मिल सके ।
हालांकि समय के साथ साथ लोगों की सोचों में भी काफी बदलाव जरूर आया है फिर भी न जाने क्यों अभी भी दिन प्रतिदिन रेप जैसी घटनाएं बढ़ती जा रही है , ये तो वो मामले है जो मीडिया में आने के कारण हमें पता चल जाते है परंतु कई घटनाएं तो सामने भी नही आ पाते ।
हमें मिल कर एक ऐसे सामज की रचना करनी है जहाँ एक लड़की आजादी से अपनी जिन्दगी जी सके , जो वो चाहे वो कर सके , रात के अँधेरे में भी बिना किसी डर के घूम सके वो जो चाहे अपने सारे सपने पूरे करने का हक़ उसे हो । और ऐसे समाज का निर्माण तभी संभव है जब हम अपनी सोच में परिवर्तन लाएं और इस बदलाव के लिए आगे आए ।
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