आरोपों को इसलये भूल जाए क्योंकि उन्होंने पार्टी बदल ली । ये कैसी राजनीति ?

कुछ ही दिनों में देश के पांच महत्वपूर्ण राज्यों में चुनाव होने वाले है , ऐसे में राजनितिक दलों में भी उथल पुथल का दौर  जारी है, कहीं पार्टियां टूट रही है तो कहीं पार्टी के पुराने दर्जेदारी नेता अपनी पार्टी को छोड़ कर दूसरी पार्टीयों में जा रहे है । हाल तो इतना बुरा है कि सालों पुरानी पार्टीयों में दर्जे और अधिकार की लडाई के कारण परिवारों में दरार आ गई । 
ये शायद पहली बार होगा जब सत्ता के लिए पार्टियों में इतनी बड़ी संख्या में दलबदल हो रहे हो , बात अगर उत्तर प्रदेश जैसे कुनबे की करें तो कुछ नेताओं के कारण परिवार में क्लेश की राजनीति उत्पन हो गई है , वर्चस्व और अधिकार की लडाई के लिए उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी सपा आज टूट की कगार पर कड़ी है हालांकि फिलहाल तो पिता और पुत्र  के बीच की इस लड़ाई में जीत बेटे की हुईं है , पर कई बार सवाल यह भी आता है की कही इस सब हाई वोल्टेज ड्रामा केवल चुनाव को देखकर तो नही किया गया है क्योंकि बस कुछ बाहरी लोगों की ज्यादा दखल अंदाजी के कारण इतनी पुरानी सपा कैसे टूट सकती है ।दूसरी और अगर बात उत्तराखंड की करें तो यहाँ कुछ महीनो से राजनीति उथल पुथल बहुत हुई है , पहले विजय बहुगुणा समेत 9 विधायकों में कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए तो अब प्रदेश कांग्रेस के गद्दवर नेता यशपाल आर्य भी कांग्रेस से नाखुश होकर भाजपा में अपने बेटे के साथ सम्मलित हो गए , यहाँ तक की पूर्व मुख्यमंत्री एंडी तिवारी भी अपने बेटे शेखर तिवारी के साथ बीजेपी में शामिल हो गए है । यहाँ देखने वाली बात यह है कि बीजेपी में शामिल होने से पूर्व ही यशपाल आर्य और उनके बेटे को भाजपा से टिकट मिल गया  , और तो और कांग्रेस से बीजेपी में आये सभी बागी नेताओं को भी बीजेपी ने टिकट दिया है , ऐसे में बीजेपी पहले से टिकट की दावेदारी कर रहे बीजेपी नेताओं की बगावत करना लाजमी है । उनका कहना है कि भाजपा ने न केवल बीजेपी नेताओं की अनदेखी की है साथ ही संगठन  बाहरी नेताओं पर ज्यादा भरोसा दिखा रहा है । बात भी सही है कल तक बाजेपी की बुराई करने वाले लोग आज बीजेपी से ही टिकट लेकर चुनावी मैदान में उतर चुके है । और तो और बीजेपी के वह कार्यकर्त्ता जो कल तक जिन कांग्रेसी नेताओं के पुतले जलाते थे वो आज उन्ही के लिए प्रचार प्रसार कर रहे है ।  यही तो राजनीति है   कल तक जिन नेताओं पर भ्रस्टाचार के आरोप लगते थे आज उन्हें बस इस लिए वोट देदें क्योंकि वह भाजपा में सम्मलित हो चुके है इसलये उनके ऊपर लगे सारे भरस्टाचार के आरोपो को भुला दिया जाए ।या तो लोग बेवकूफ है या फिर ये नेता लोगों को बेवकूफ़  समझते है । अगर आज उत्तराखंड में राजनितिक पार्टीयों की बात करें तो हाल सबके सामने है एक पार्टी कांग्रेस की है और दूसरी पार्टी वो पार्टी है जिसमे कांग्रेस से आये नेताओं को टिकट मिल हुवा है अतः बात तो वही हुई न की चुनाव में हारेगी भी कांग्रेस और जीतेगी भी कांग्रेस ।ये न जाने राजनीति किस और किस और अग्रसर है , बस वोटों के लिए और सत्ता के लिए राजनीति में सब कुछ जायज है ,  जब तक विजय बहुगुणा कांग्रेस में थे तब उनपर आपदा में भरस्टाचार के कई आरोप लगे यहाँ तक की बीजेपी ने तो बहुत हंगामा भी किया उनका इस्तीफा मांगने के लिए पर अब देखो सब साथ आ गए तो भ्रस्टाचार के उन आरोपों को तो जैसे की सब भूल ही गए है । यहाँ बात केवल भाजपा या कांग्रेस की नही है यहाँ पर बात उन सभी राजनेताओं की है जो जनता का बहाना बनाकर , जनता के दुखो में आग जलाकर रोटियां सेंकने का काम करती है उंन्हे न तो किसी जनता से मतलब है और ना ही उनकी परेशानियों से । उन्हें तो बस यह देखना होता है कहाँ कोई खतना हुई है जिसका फायदा उठाकर वह राजनीति बढ़त हासिल कर सकें । पर अफ़सोश इतना सब कुछ सामने देखने के बाद भी सुनने के बाद भी हम संभलते ही नही ये बार बार आते है और जनता को बेवकूफ बनाकर वोट ले जाते है ।

Comments

Popular Posts